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जिंदगी में हर पल
जन्म लेने वाली
छोटी-छोटी ख्वाहिशे़
रास्तों की धूल तले
दबकर ही कहीं खो जाती है
और बारिश की बूंदों के साथ
बहकर नदी नालों से गुजरती हुई
समा जाती है समुंदर की लहरों में
जिंदगी में हर पल
जन्म लेने वाली
छोटी-छोटी ख्वाहिशे़
रास्तों की धूल तले
दबकर ही कहीं खो जाती है
और बारिश की बूंदों के साथ
बहकर नदी नालों से गुजरती हुई
समा जाती है समुंदर की लहरों में
यूं तो जरूरी नहीं
हर कोशिश में सफल हो जाओ
लेकिन हुनर सितारों की तरह
चमकते रहने का बनाएं रखो
रास्तों कांटों से ही नहीं
फूलों से भी भरे हैं
बस बीज हौंसले के बोयें रखो
बेवजह मत कोसा करो
खुद को किस्मत का हवाला देकर
खुद भी कभी मंजिल ढूंढ़ने का पथ तलाशा करो
कुछ स्त्रियां सांसे गिनती है
अपनी जिंदगी की
खौफ के सायें में
ख्वाबों को मारकर
हर रोज आसूंओं का
कड़वा जहर पीकर
झूठी मुस्कान की ओट लेकर
और संस्कारों की चादर में
घूट-घूट कर जीना
अगर जिंदगी है तो
इसे मैं जीना नहीं कहूंगी
सिर्फ सांसों की गिनती कहूंगी
जमाना वो आ गया है
जहां दीवारें बड़ी और
रिश्ते छोटे हो गये
बंद कर दिया है
उन दीवारों में
भावनाओं और अपनेपन को
अब वो रिश्ते
प्रेम की बारिश तो दूर
मुस्कुराहट की बूंदों को भी
तरसते हैं
और किसी चातक पक्षी की भांति
निहारते हैं बादलों को
कि काश कोई बूंद गिर जाए बादलों से
और खुद को महसूस करा लें
बारिश से भीगा हुआ
आजकल लोग प्रेम नहीं
बातें प्रेम की करते हैं
दूरी रखते हैं
रिश्तों की आहटों से भी
लेकिन बात रिश्तों के निभाने की करते हैं
लगाते हैं कीमत खुशियों की
लेकिन चंद स्वार्थों में खुशियां गंवाते
फिरते है
पता है जिंदगी मौत पर
आकर खुद रूकेंगी
लेकिन फिर भी मौत के नाम से डरते है
हम तो बेहिसाब प्रेम दिल में
भरे बैठे हैं तुम्हारा
फिर भी इजहार कर देने के नाम से डरते हैं
1.बेवजह गुस्सा और
बात-बात पर नाराज़
होने लगे हो
मोहब्बत बढ़ गई या
नफ़रत करने लगे हो
2.तेरे अलावा किसी से
मोहब्बत होगी तो
वो मौत होगी
चंद स्वार्थों की खातिर
दिल में मोहब्बत बदलने का
रिवाज नहीं आता हमें
3.तुझे तेरी खुशियों के
साथ आजाद किया है मैंने
हंसी तुम्हारी होगी तो
मुस्कान यहां तक भी आयेगी
स्त्री की खामोशी
के पीछे शोर होता है
जब उठता है
वो विद्रोह करने को
दुनिया क्या कहेगी के
ड़र से दम तोड़ देता है
उसी खामोशी की ओट लेकर
हमेशा के लिए
खामोश कर जाता है
स्त्री को
फरियाद को महज
फरियाद मानकर
मत ठुकराना
तुम तक पहुंचते-पहुंचते
ना जाने कितने दुखद सुखद
अहसासों के समंदर में डूबी निकली होगी
उसमें शामिल होती है
ईश्वर की दुआ
धड़कनों की आहट
आसूंओं के साथ बनाई होती है
उसको पूरी करने की इच्छा
वो फरियाद ही है जो तुम्हें
ईश्वर समान मान तुम्हारे सामने
पूरी होने को आतुर
हाजिर होती है
ना कर सको पूरी तो
बिना मजाक करें
मांग लिया करो माफी
जिंदगी इतनी आसानी से भी
नहीं कटती
सांसों की कीमत हर पल चुकानी पड़ती है
खुद को खुद से निकालकर
छोड़ देना पड़ता है
दुनिया की बाहों में
जहां खुशी की गर्माहट के साथ
समुंदर पीड़ाओं का भी बहता है
जिसमें हर रोज गोते लगा
पार कर पहुंचना पड़ता है
खुशियों के जहां में