Author: Kanan Kumari

डिजिटल सावन

सावन आया है या अब वातावरण नहीं मोबाइल बता रहे हैं ।अचानक कुछ दिन पहले कोयल के बोलने की आवाज सुनी तो मैं हैरान हो उठी तो बाहर निकल कर देखा तो कुछ बच्चे कोयल का चित्र लगाकर पीछे से मोबाइल से कोयल की बोलने का रिंगटोन बजा रहे थे मानो सावन आने का अनुभव कर रहे हो । फिर मेरी भेज जिज्ञासा जाग गए पेड़ों को झूमता देखने की लेकिन इमारतों से गिरे शहर में पेड़ कहां मिलते हैं तो मैंने भी यूट्यूब खोला और लहराते पेड़ों का वीडियो देखकर मन बहला लिया । अब हवाओं की सरसराहट नहीं वाहनों का शोरगुल सुनाई दे रहा था ,कोयल की जगह कारखानों का शोर था ,फलों में मिठास की जगह दवाओं की खटास थी और मौसम भी अपनी रंगत की जगह कहर मचा रहा था । कुछ लोग कह रहे थे सावन तो आया बरसात नहीं आया और जहां आया वह इतनी की बाढ़ से लोगों में कोहराम मच गया । सावन तो हम जैसों के लिए सामान्य था जो इमारतों से घिरे थे ।

अब तो सावन का पता हर सोमवार को व्हाट्सएप या फेसबुक स्टेटस पर देख लगा लिया जाता है । सोमवारी आते हैं डीपी भोलेनाथ के चित्र में बदल जाती है। साथ ही सोमवार के सोमवार महादेव भी अपडेट होते जा रहे हैं । चिड़ियों की चहचहाहट और मोर का नृत्य भी ग्राफिक्स में ही दिखता है। यह डिजिटल सावन है। अब कवियों की शायरी और गुलजार गीतों के बजाय सावन का हिप हॉप और रैप ट्रेंड कर रहा है। अब तो इंडिया इतना डिजिटल हो गया है कि लोग  एक दूसरे से मिलने में भी हिचकिचाते हैं। सावन की हरियाली तो नोटों में भी दिखने लगी है जो लोग सावन आया  कहकर धूम मचाते थे अब नोटों की गर्मी दिखा रहे हैं।

सावन आते ही हवाओं में ताजगी आती थी,

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डिजिटल सावन

सावन आया है या अब वातावरण नहीं मोबाइल बता रहे हैं ।अचानक कुछ दिन पहले कोयल के बोलने की आवाज सुनी तो मैं हैरान हो उठी तो बाहर निकल कर देखा तो कुछ बच्चे कोयल का चित्र लगाकर पीछे से मोबाइल से कोयल की बोलने का रिंगटोन बजा रहे थे मानो सावन आने का अनुभव कर रहे हो । फिर मेरी भेज जिज्ञासा जाग गए पेड़ों को झूमता देखने की लेकिन इमारतों से गिरे शहर में पेड़ कहां मिलते हैं तो मैंने भी यूट्यूब खोला और लहराते पेड़ों का वीडियो देखकर मन बहला लिया । अब हवाओं की सरसराहट नहीं वाहनों का शोरगुल सुनाई दे रहा था ,कोयल की जगह कारखानों का शोर था ,फलों में मिठास की जगह दवाओं की खटास थी और मौसम भी अपनी रंगत की जगह कहर मचा रहा था । कुछ लोग कह रहे थे सावन तो आया बरसात नहीं आया और जहां आया वह इतनी की बाढ़ से लोगों में कोहराम मच गया । सावन तो हम जैसों के लिए सामान्य था जो इमारतों से घिरे थे ।

अब तो सावन का पता हर सोमवार को व्हाट्सएप या फेसबुक स्टेटस पर देख लगा लिया जाता है । सोमवारी आते हैं डीपी भोलेनाथ के चित्र में बदल जाती है। साथ ही सोमवार के सोमवार महादेव भी अपडेट होते जा रहे हैं । चिड़ियों की चहचहाहट और मोर का नृत्य भी ग्राफिक्स में ही दिखता है। यह डिजिटल सावन है। अब कवियों की शायरी और गुलजार गीतों के बजाय सावन का हिप हॉप और रैप ट्रेंड कर रहा है। अब तो इंडिया इतना डिजिटल हो गया है कि लोग  एक दूसरे से मिलने में भी हिचकिचाते हैं। सावन की हरियाली तो नोटों में भी दिखने लगी है जो लोग सावन आया  कहकर धूम मचाते थे अब नोटों की गर्मी दिखा रहे हैं।

सावन आते ही हवाओं में ताजगी आती थी,

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एनकाउंटर : क्या वक्त आ गया है पुलिस रिफॉर्म में पर फैसला लेने का

बीते दिनों कानपुर के बेटवा गांव में घात लगाकर किए गए हमले में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। इसके बाद फरार हुए हमले का गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गैंग के तकरीबन 5 सदस्यों को पुलिस में एक-एक करके एनकाउंटर में ढेर कर दिया। एक बड़े पैमाने का मानना है कि आरोपियों की गिरफ्तारी , जांच ,चार्जशीट और अदालती कार्यवाही जैसी प्रक्रियाओं को अपनाने के बजाय पुलिस ने खुद ही इस का बीड़ा उठाकर विकास दुबे को दंड दे दिया।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह कानून के शासन का उल्लंघन है । बहरहाल किसी अपराधी का एनकाउंटर कितना न्याय संगत और संवैधानिक नियमों के अनुकूल है इस पर फिर से बहस का दौर जारी हो गया है ।

गिरफ्तार करने के बाद की प्रक्रिया

गिरफ्तारी की प्रक्रिया के अनुसार कानून कहता है कि आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस को न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना चाहिए गिरफ्तारी के बाद आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने की प्रक्रिया है उसके बाद मजिस्ट्रेट उसे पुलिस रिमांड देती है या न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिए दिया जाता है ।

गौरतलब यह है कि विकास दुबे की गिरफ्तारी करने के बाद पुलिस उसे ना मजिस्ट्रेट के सामने ले गई और ना ही उसके हाथों में हथकड़ी पहनाई । साथ ही जब गाड़ी कानपुर के पास से गुजर रही थी तब दुर्घटना में पलट गई ,

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A bra : Why hiding they matter

It all started with a discussion with my relatives then a question pop ups in my mind that ” why can’t I dry my bras in open under the sun ?” Well , in our discussion I couldn’t get my answer that who started this hiding business for women undergarments . Why hide bra ? Is this a private part ? All this shaked up my mind and I took a step to not to hide my undergarments .

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I Wonder, Does God Really Exist?
A brief discussion session with my mother about culture and religion led to a random question popping in my head: does God really exist? I asked this question to a person who provided me with a simple answer: God exists within ourselves.

My mind was in a state of dilemma. On one hand, I was satisfied whereas, on the other, I was brainstorming! I searched for the answer in many people, but everyone led to different and complex statements.

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