Author: Mishra

जन्मदिन

उम्मीदों से भरा एक और साल मुबारक ,
आंखों को तुम्हारे ख्वाबों का जाल मुबारक।

तुम्हारे होंठों को तबस्सुम मुबारक,
अल्फ़ाज़ों को तरन्नुम मुबारक,

ये जो तेरी हथेली नरम दूब जैसी है,
इस दूब को मेरी दुआओं की ओस मुबारक ।

काश होता तुम्हारे आँखों के सामने,
मुझे भी होती तेरे काजल की दीद मुबारक,

चूम लेता तेरे होंठों को और जब पुछती वजह,

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खैरात थोड़ी है

 

आओ करो विरोध, हम भी चलेंगे साथ तुम्हारे,
पर ये बसें, दुकानें जलाना जहालत है, शराफत थोड़ी है ।

मत सुनो सरकार की बातें, उतर आओ सड़कों पर,
गर पत्थर चलाओगे तो है गुनाह, करामात थोड़ी है ।

तुम हमेशा थे साथ हमारे, कहीं जाने भी ना देंगे,
पर मुझे भी गाली दोगे तो ये अजियत है, वज़ाहत थोड़ी है ।

हाँ शामिल है सबका खून इस मिट्टी में,

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