Author: Sushil Vidyadhar Kaushik

जीना बाक़ी है

जख्मों से तो भर चुका है ये दिल अब तो इन्हे सीना बाकी है

ये महफ़िल बहुत देख ली हमने अब तो जी भर के पीना बाकी है

प्यार -इश्क़ -मोहब्बत ,कसमें -वादे ,रिश्ते -नाते चलो छोड़ो

बहुत काट ली ये जिंदगी अब तो बस जीना बाकी है ।

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