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- By Dr. Sushree sangita Swain
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- Poetry
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ये कैसा दौर आ गया ?
इनसान को इनसान से भय हो गया |
जीबन की रफ़्तार थम सी गयी हे,
जीने की चाह जैसे कम सी हो गयी हे ||
एक वायरस ने जीबन मैं उथल पुथल मचा रखा हे
गृहबास, लोगों से दुरी ही बचाब का उपाय बन गयी हे ||
कोरोना ने जीबन शैली ही बदल डाली हे
अबसाद ग्रस्त हो इनसान जीबन जी रहा हे ||
भगवान के द्वार भी भक्त के लिए बंध हो रहे हैं
तनाव,