Posts tagged “Ashish Anand Arya “Ichchhit””

🙅 ज़िद्दी लाडो 🙅

बचपन में जो भी बारिश नज़र के सामने आयी, उसने खूब कागज़ की कश्तियाँ देखी मेरे हाथों में। खूब चींटे-चीटियों को सैर करायी अपनी उन अरमान भरी कश्तियों में। और अगर जो उम्र की दहलीज़ ने पाँवों में ये समझदारी की बेड़ियाँ न बांध दी होतीं, फ़िर तो ज़रूर पूरी दुनिया ही सफ़र कर चुकी होती मेरी उन कागज़ी कश्तियों में और न जाने कितने चक्कर लग चुके होते इस पूरी दुनिया के!

खैर,

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ऐ वतन… हमको तेरी कसम…

“काश, इन गिरती आसमानी बिजलियों को रोकना भी इतना आसान काम होता!”
लगातार ऊँचे आकाश पर निगाहें टिकाये रत्नेश के होठों पर ये बिल्कुल लाज़िमी सवाल था। कई साल फ़ौज की सेवा में गुज़ारने के बाद अब तो उसे जैसे हर काम को ही चुटकियों में खत्म कर डालने की आदत हो गयी थी। पर ये सब तो जैसे कुदरत का कहर था, जिस पर उस जैसे किसी का कोई बस न था।

शाम ढलने को हो आयी थी। रात का अंधेरा आसमान को अपने काले रंग से गहराने पर उतारू था। और उसी बीच मानसूनी बारिश और कड़कती आसमानी बिजलियों का वो रोज़ का सिलसिला एक बार फ़िर से शुरू हो चुका था। इस मानसून और इसी बारिश का तो वहाँ जैसे हर किसी को ही इंतज़ार था,

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आखिरी PART : शक्ति-पुँज & आचार्य अदग
  • By Ashish Anand Arya "Ichchhit"
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शक्ति-पुँज & आचार्य अदग : PART 17
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शक्ति-पुँज & आचार्य अदग : PART 16
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शक्ति-पुँज & आचार्य अदग : PART 15
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शक्ति-पुँज & आचार्य अदग : PART 14
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शक्ति-पुँज & आचार्य अदग : PART 13
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शक्ति-पुँज & आचार्य अदग : PART 12
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आखिरकार बाप हूँ
  • By Ashish Anand Arya "Ichchhit"
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पता है
बेटा अब बड़ा हो चुका है…
नौकरी लग चुकी है
पैरों पर अपने खड़ा हो चुका है,
अब तो वो
रूपये भी कमाता है,
जिम्मेदार है
सब कुछ उसे आता है,
पर कैसे भूल जाऊँ भला
है तो वो बेटा ही!

ज़िंदगी भर ही सिखाया
तो क्या अब नहीं सिखा सकते?
जो कभी जता नहीं पाये
क्या अब नहीं बता सकते?

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