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माँ
होता कुछ भी नहीं मैं,
अगर तू साथ ना होती,
गिर के संभल ना पाता,
गर तू मेरे पास ना होती।
आसमान में सुराख़ कर देती,
ख्वाहिश जो मेरी ये भी होती,
खुशियों में मेरी तू,
अपने गम भुला ही देती,
मेरे कदमों की आहट को,
दुर से ही पहचान लेती।
लड़कपन की गलतियों को,
यूँ ही तू भुला ही देती,
नींदों में भी अपनी तु,