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- By हेमंत यादव
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- Poetry
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स्त्री की खामोशी
के पीछे शोर होता है
जब उठता है
वो विद्रोह करने को
दुनिया क्या कहेगी के
ड़र से दम तोड़ देता है
उसी खामोशी की ओट लेकर
हमेशा के लिए
खामोश कर जाता है
स्त्री को