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- By Ashish Anand Arya "Ichchhit"
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- Short Story
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बचपन में जो भी बारिश नज़र के सामने आयी, उसने खूब कागज़ की कश्तियाँ देखी मेरे हाथों में। खूब चींटे-चीटियों को सैर करायी अपनी उन अरमान भरी कश्तियों में। और अगर जो उम्र की दहलीज़ ने पाँवों में ये समझदारी की बेड़ियाँ न बांध दी होतीं, फ़िर तो ज़रूर पूरी दुनिया ही सफ़र कर चुकी होती मेरी उन कागज़ी कश्तियों में और न जाने कितने चक्कर लग चुके होते इस पूरी दुनिया के!
खैर,