Posts tagged “pyar”

बचपन

बचपन में भाई बहन का वो झगड़ा,

कभी प्यार तो कभी तकरार,

कभी चिढ़ना तो कभी चिढ़ाना,

और फिर मुस्कुरा कर बातें हवा में उड़ाना,

कभी मारना तो कभी मार खाना,

और फिर मम्मी से शिकायत लगाना,

फिर भी साथ में रहना,और साथ में खेलना,

कभी रूठना तो कभी मनाना,

कितना अच्छा था, बचपन का वो ज़माना।।

 

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हमारा प्यार
कभी न हुयी हो ऐसी बौछार होगी हमारे प्यार की हर जगह बात होगी जब प्यार के अफ़साने लिखे जायेंगे हमारा प्यार याद किया जायेगा क्या प्यार किया था इन लोगो ने एक दूजे के होके भी बेगाने थे नही होती थी कोई मुलाक़ात नही होता था कोई वार्तालाप फिर भी एक दूजे के दिवाने थे ।।
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वो पिता ही है

 

जिसके दौड़ने से घर का चूल्हा जलता है।
वो पिता ही है जिसके कारण घर चलता है।।
वो है तो, घर के आंगन की दोपहर भी सवेर है।
बिन उसके कहां ये दिन भी गुजरता है।।

वो पिता ही है………………(1)

समंदर मे बन चट्टान वो हर तूफान से लड़ता है।
बन नौका पतवार चीर लहरो को आगे बढता है।।
कितना भी हो दूर,

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अपनों का एहसास महामारी में

✍🏻 अपनो का अहसास महामारी में✍🏻

मैं ऐसा बनावटी दुनिया में फंसा
आपनो को भूल दूसरो को चाहने लगा |

दूरी थी मां के कर निवाले से
दूरीया ही बन गई थी प्रथम आले से |

जिस जगह से उब गया था इस कदर
ना ही अपने प्रिय लगते मैं था दर-बदर |

घर मे पहले बोर होने लगाता था
मन अपनो को छोड़ परायेपन में खुश रहने लगाता था |

शहरी संस्कृति हावी हो गयी थी
अपनो की बाते कांटो सी हो गयी थी |

उनके पास बैठना भी बुरा लगता था
मेरा मन परायो को अपना बैठा था |

जब पापा की हर बात कांटो सी लगती थी
माँ का बुलाना बेहूदा हरकत लगती थी |

मै फोन की रहस्यमयी दुनिया में खोता गया
माँ –

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तुम्हारा मैसेज आया है

अलग सा मिजाज बन गया था आप बिन बिन में
हर पल को काटना मुश्किल था। बिन बिन अकेले में

मेरी मायूसी भी ऐसी छाई छाई है
हर तरफ मुझे अपनी ही नजर ही नजर आती है

अचानक यह खमोशी टूटती हैं
मेरे दिल में सन्नाटे की धारा टूटती हैं

दिल की खमोशी ने नया गीत गाया है
आज तुम्हारा मैसेज आया है

तेरा सुंदरी ऐसा जो दिख रहा बानी-ठानी में की
लाकडाउन में जगह मिल जाए गाड़ी में

तेरी आवाज से मेरा रोम रोम जाग उठा जैसे
तेरा बात करने से होइमुई जैसे

आज जीवन में फिर खुशियों का सूरज फिर खुशियों का सूरज आया है
हां हा जिंदगी तुम्हारा मैसेज आया है

पता है बसंत की पहली सुबह को को सुबह में पहली सुबह को कोतेल को लिख दिया गया है
“सृजन”

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मोहब्बत

1.खामोश सी है

मोहब्बत मेरी

महज इजहार कर

देने के नाम से

पूरी नहीं होगी

 

2. शिकायतें अगर

अपनों से है तो

कर लिया कीजिए

यूं बेवजह खामोश

रहकर दूरी बढ़ाना अच्छा नहीं लगता

 

3. मैं तो उसकी

मोहब्बत की

किताब का

जिल्द भर हूं

लिखा तो

किसी ओर ने है

उन कोरे पन्नों पर

 

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