Writer’s Corner (Page 3)

पापा

किताबों से नहीं,

मेंने रास्तों की ठोकरों से सिखा है,

कि किताबों से नहीं  ,मेंने रास्तो की

ठोकरों से सिखा है

लाखों मुश्किलों में भी हसना

मैंने अपने पापा से सिखा है |

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आसूं

 

मुझे मनाने के लिए

उसका एक बार

मुस्कुरा कर देखना

ओर बोलना ही काफी है ,

लेकिन उसको

मनाने के लिए

मेरे लाखों आसूं

भी कम लगते हैं

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डिजिटल सावन

सावन आया है या अब वातावरण नहीं मोबाइल बता रहे हैं ।अचानक कुछ दिन पहले कोयल के बोलने की आवाज सुनी तो मैं हैरान हो उठी तो बाहर निकल कर देखा तो कुछ बच्चे कोयल का चित्र लगाकर पीछे से मोबाइल से कोयल की बोलने का रिंगटोन बजा रहे थे मानो सावन आने का अनुभव कर रहे हो । फिर मेरी भेज जिज्ञासा जाग गए पेड़ों को झूमता देखने की लेकिन इमारतों से गिरे शहर में पेड़ कहां मिलते हैं तो मैंने भी यूट्यूब खोला और लहराते पेड़ों का वीडियो देखकर मन बहला लिया । अब हवाओं की सरसराहट नहीं वाहनों का शोरगुल सुनाई दे रहा था ,कोयल की जगह कारखानों का शोर था ,फलों में मिठास की जगह दवाओं की खटास थी और मौसम भी अपनी रंगत की जगह कहर मचा रहा था । कुछ लोग कह रहे थे सावन तो आया बरसात नहीं आया और जहां आया वह इतनी की बाढ़ से लोगों में कोहराम मच गया । सावन तो हम जैसों के लिए सामान्य था जो इमारतों से घिरे थे ।

अब तो सावन का पता हर सोमवार को व्हाट्सएप या फेसबुक स्टेटस पर देख लगा लिया जाता है । सोमवारी आते हैं डीपी भोलेनाथ के चित्र में बदल जाती है। साथ ही सोमवार के सोमवार महादेव भी अपडेट होते जा रहे हैं । चिड़ियों की चहचहाहट और मोर का नृत्य भी ग्राफिक्स में ही दिखता है। यह डिजिटल सावन है। अब कवियों की शायरी और गुलजार गीतों के बजाय सावन का हिप हॉप और रैप ट्रेंड कर रहा है। अब तो इंडिया इतना डिजिटल हो गया है कि लोग  एक दूसरे से मिलने में भी हिचकिचाते हैं। सावन की हरियाली तो नोटों में भी दिखने लगी है जो लोग सावन आया  कहकर धूम मचाते थे अब नोटों की गर्मी दिखा रहे हैं।

सावन आते ही हवाओं में ताजगी आती थी,

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दर्द वाला डाॅक्टर

 

घर के दरवाजे पर टँगी नाम-पट्टिका पर ‘डाॅक्टर‘ नाम चढ़ते देखना, सारे मुहल्ले वालों के लिए काफी आश्चर्यजनक घटना थी।

वैसे गंगाधर जी के भाषा-ज्ञान का उतना अनुभव न होता, तब तो उतनी ही सलवटें हमारे माथे पर भी पड़तीं। परंतु हम अनुभवी थे। हकीकत जानते थे। उनकी विद्वत्वता पर पूरा भरोसा था। आखिर होता भी क्यों न? दो-चार पोथियाँ तो हम ही से लेकर स्थायी उधार कर गये थे। उनमें से एक लौटाने का मौका भी आया था। बिल्कुल चपल प्रतिक्रिया की थी उन्होंने।

बस पता ही चला था उन्हें कि हमारे गाँव वाले भतीजे को किताब के आठ-दस पन्नों का ज्ञान बटोरना है। उसी दिन झाड़-पोछकर निकाल सामने रख ली थी। वरना उससे पहले तो बिल्कुल सहेजकर रखी थी हमारी किताब उन्होंने अपने दड़बे में। हमसे बात होने के बाद घंटे भर में नोट्स पूरे करके,

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एहसास

1.हर वक़्त बहुत सारी बातें करने

का मन होता हैं तुमसे,

लेकिन तुम्हारी बातें सुनकर

एहसास होता है

हमारा चुप रहना ही

अच्छा है|

2. काश कोई ऐसा इन्सान हमारी

जिंदगी में भी

जो हमारे हर एहसास को

समझ सकता

और कहता कयूँ

उदास रहते हो

मैं हूँ तुम्हारे साथ |

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HELLO!

HELLO!

Tell the story however different you wish to
Twist its intended value
And create your own meaning
that satisifies and suits your expectations
I won’t argue nor play the debate cards
For I have at heart what I meant
When I said: “I need you”
When I said: “I can’t live without you”
And when I said: “My heart beats for you”

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अंधेरे

मुझको अंधेरे में रखा,
उजालों से क्या बैर था,
मुहब्बत हमारी भी थी,
उम्र का फिर कहाँ होश था.
फ़ासले यूँ बढ़ते गये,
शायद उसमें ही कोई दोष था.

 

इमेज सोर्स : गूगल

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चाय – हर हिंदुस्तनी का पहला प्यार

चाय – हर हिंदुस्तानी का पहला प्यार❤️
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थोड़ी सी कड़क, थोड़ी सी लाल
और जो ही मिलाया इसमें
चीनी स्वाद अनुसार
तो हो गई तैयार
हर हिन्दुस्तानी का पहला प्यार।
इसकी हर चुस्की में है चुस्ती
हर काम को जो बना दे मजेदार
यही है वो अचूक हथियार।
हर जगह जो मिल जाए आसानी से
कुछ ऐसा ही है ये सामान
बच्चे हो या बूढ़े सब पीते हैं इसको
नहीं है इसमें कोई नुकसान।
है मेहाननवाजी पर भी
इसका सर्वप्रथम अधिकार
इसके बिना अधूरा है हिंदुस्तान में
जस्न का हर स्थान।
कभी दोस्तों के मिलने का
बहाना बन जाता है ये
तो कभी बात को आगे बढ़ाने
का सहारा बन जाता है ये।
अब तो बन चुका है ये
हिंदुस्तान का ये स्वाभिमान
प्रधानमंत्री से लेकर हर हिंदुस्तानी की
है ये आनोखी पहचान। 🙏

 

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आत्महत्या

जिंदगी का हाथ छोड़कर तुमने
मौत को गले लगा लिया
ऐसा भी क्या था?
जो तुमने खुद की सांसो से दामन छुड़ा लिया
मुश्किलें आती हैं और परख कर चली जाती है
काश तुम समझ पाते सांसे जो रुक जाती हैं
वो वापस नहीं आती है।
तुम्हें ऐसा लगता है
तुमने खुद की की जान ली है,
अपनी सांसे तो मान ली तुमने
पर जाते-जाते कितनों की जिंदगी
वीरान की है तुमने।
वो बूढ़ा पिता जो तुमने अपने कल को देखा करता था
वो आज अपने जिंदगी हर पल को कोसा करता है।
वो मां जो अपने आंचल से तेरा मुखड़ा पोछा करती थी!

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Peptic Ulcer

Peptic Ulcer is the term used to call the open sores which can take place on the lining inside of the oesophagus or stomach and even the upper portion of the small intestines. Most of the time, the symptom which is the most common will be pain in the abdomen. Also peptic ulcers include several others smaller problems such as:

 Gastric ulcers are the types that take place inside the stomach.

Oesophageal ulcers are the types that take place inside the oesophagus (hollow tube) which function is transport foods from throat to stomach.

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